
ये कितने छोटे लम्बे पल , ये आज की बातें बिता कल ।
ये एक शहर है सपनो का ; ये एक गली वो एक खिड़की जो सपनो सी खुल जाती है ।
पागल सा वो एक लड़का और चंचल सी वो एक लड़की और कितने चेहरे खाबों के हर रोज़ सड़क पर मिलते है ।
ये उम्मीदों के सहज़ादे; सपनों के शहर के ये वासी;...